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हत्या
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स०-"नहीं, उसे गोली दाग देनी चाहिए। आप कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं।"
मैं-"मैं मालिक नहीं हूँ।"
स०-"मालिक मैं भी नहीं हूँ। मैं उनका दोस्त भी नहीं हूँ। लेकिन, मेरे लिए बर्दाश्त करना मुश्किल है । मैं गोली मार सकता हूँ ?"
मैं-"अर्ज है, मैं मालिक नहीं हूँ।" सा-"मालिक कहाँ हैं ?" मैं-"यहाँ के ओवरसियर की यह घोड़ी है। आपको शायद आगे सड़क पर ही मिलें।"
स०-"ठीक। न मिलें, तो आप उनसे कहें, फौरन उसे शूट कर दें। नहीं तो अधर्म है, और मैं उनकी रिपोर्ट करने को मजबूर
वह चले गये। श्री को मैंने फिर बुलाया । आते ही उन्होंने कहा, "वैसी ही बाजी लगाओ। अब के तुम कभी नहीं जीत सकते थे। यह कौन था ?" ___मैंने उस अँगरेज़ की बात बताई। पशु की इस करुणात दशा के प्रति श्री में सहानुभूति न थी, सो नहीं; पर यह घोड़ी जातिगत
और व्यक्तिगत रूप में उनके निकट इतनी अनात्मीय और इतर कोटि की प्राणी थी कि उसे लेकर उनका मन विकल होने को तैयार न था । स्त्रियाँ स्त्री होती हैं। मैं सोचता हूँ, उनका हृदय कोमल है, सो वह कुछ विशद भी होता तो ? में ही फिर सोच लेता हूँ, “नहीं, नहीं, यह न सोचूंगा।"
उन्होंने कहा, "यह अँगरेज कौन होते हैं, जो हर बात में हमारी. दखल देंगे?"
मैंने कहा, "उसकी बात कोई बहुत बुरी तो न थी।"