________________
हत्या
२०३
मैंने कहा, "इलाज अब क्या होगा । मिनटों की तो बात है।" "मैं नहीं जानता।"-कहकर फिर चुप हो गये।
कुछ देर में सहसा उन्होंने व्यस्त भाव और बलिष्ठ स्वर में पुकारा-"बज्जी!"
जान पड़ा, कुछ बात उन्होंने पकड़ पाई है। वहाँ रहने वाले अपने सब मातहतों को उन्होंने इकट्ठा किया। टिण्डैल, पतरौल, सब को आस-पास के गाँव में भेज दिया। हिदायत दी, जो इस बारे में कुछ भी जानते हों, सब को यहाँ ले आओ। अगर वे कुछ न कर सकें, तो फौरन जिले के अस्पताल में मेरी गाड़ी में उठा कर ले जाना । मेरी बाट मत देखना । और देखिये मुन्शीजी, खर्च की तरफ मत देखियेगा। मुझे आज जरूरी काम है। गिट्टी नपवानी है । जब लौहूँ, घोड़ी यहाँ न देखू । समझा ? ___ उन सब लोगों को भेज देने के बाद मित्र फिर आप भी चलने लगे।
मैंने कहा, "कहाँ जा रहे हैं, चाय तो पी लीजिये।"
बोले, “मुझे अब याद आया, मिट्टी नपवानी है ! बहुत जरूरी काम है । मुआइना आ गया तो मुश्किल होगी। जल्दी लौटूंगा।
मैंने कहा, “खाने के वक्त तक लौट आइयेगा।" कहा, "हाँ-हाँ, जरूर ।"
वह चले गये, और मैंने जान लिया, उनका काम जल्दी समाप्त नहीं हो पायगा।
वह इतवार का दिन था । उस दिन बहुत से भद्रेवर्गीय अँगरेज और हिन्दुस्तानी वहाँ आ जाया करते हैं । स्थान दर्शनीय है, और रमणीय ।
सड़क से लगा हुआ हमारा स्थान था, और हम बरामदे में