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पानवाला
चाँदनी-चौक की एक दूकान पर बैठा कुछ खरीद कर रहा था कि आवाज सुन पड़ी, "प्वाइन बिनारिस !" ___ आवाज़ सुरीली थी, उसमें रस था। मैंने मुड़कर देखा । देखता हूँ कि एक मोटर से एक भद्र पुरुष उतरे हैं, तीन महिलाएँ उनके साथ हैं, जिनमें दो नवीन हैं, एक प्रौढ़ हैं, और एक पान वाला हाथ में पानों की थाली लेकर उनके पास पहुँच कर कह रहा है "आला पाइन, बिनास पाइन !"
वे लोग तनिक इस आतिथ्य-भेंट पर रुके। क्षण भर रहकर उन नवीनाओं को हँसी छूट आई और आपस में हँसती-हँसती वे दोनों आगे बढ़ गई। प्रोढ़वया महिला और वयस्क पुरुष भी आगे चल दिये।
पानवाला मुड़कर फिर फुटपाथ पर आ गया और डोलने लगा। उसी अदा की आवाज़ देता जाता था, "प्वाइन बिनारिस श्रा' ला पाइन, बिनास पाइन!" __ पैसे देकर मैं पान नहीं खाता । पर पान खाने का सवाल नहीं था। मैंने कहा, "ओ बनारसी पान ।"