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इक्के में
रहा है, पत्रिकाएँ निकल रही हैं, लेख लिखे जा रहे हैं, पुस्तकें तैयार हो रही हैं, उपदेश दिये जा रहे हैं कि पुस्तकें पढ़ो और ज्ञानी बनो; क्योंकि, कल का भूत काम माँगता है और उस भूत का मालिक दाम माँगता है । यह उचित और आवश्यक है। क्योंकि उस मालिक को साढ़े चार लाख की समुद्र-तटपर की एक कोठी पसंद आ गई है। इसलिए लिखो और पढ़ो।...मैं जानता हूँ, इंडियन प्रेस खूब चीज़ है।"
"बाबू, उधर कीन का कालिज है ।" मैंने कहा, "क्कीन का कालिज नहीं चाहिए, स्टेशन कितनी दूर
___ "नजीक ही है, बाबू !"
मन्दिर आये, खेत आये, कहीं बगीचे, फिर धर्मशालाएं, मकान, घर, एक-एक कर आदमी के सब खेल, सब काम आने लगे। कहीं दो आदमी दीखते, कहीं तीन; कहीं दो त्रियाँ, कहीं तीन । लोग जा रहे हैं,काम कर रहे हैं, हँस रहे हैं, कुछ हैं जो रो भी रहे हैं।...गोखले शिल्प-विद्यालय का बहुत बड़ा बोर्ड लगा है,
और उसके अधिकारी अवश्य समझते होंगे, उन्होंने जो किया है, उसी में से मनुष्य का और मनुष्य-जाति का उद्धार है ।...और पान की दुकानवाली से एक अधिक चूना लगा पान लेकर जो
आदमी उसे कोसता हुआ रस लेकर हँस रहा है, वह मान रहा है कि उसे और कुछ नहीं करना है । वह इस पानवाली के पान को और उसकी हँसी को, और उसे, सब-की-सबको, पा सके तो उसे इस दुनिया में और कुछ नहीं पाना रहेगा, वह कृतार्थ हो जायगा।
मैंने कहा, "ठहरो, एक पान ले लें।" इक्का ठहरा, मैंने कहा, “एक पान तो लगा देना।" उसने बिना मेरी ओर देखे पान तैयार करना प्रारम्भ कर