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-सप्तसन्धानमहाकाव्य : मेघविजयगणि
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स्थान पर उग्रसेन को सिंहासनासीन करना (१.५.२६), प्रद्युम्न -वियोम, प्रद्युम्न द्वारा दुर्योधन की कन्या का हरण (५.३०), कालीयदमन (५.३८), द्वारका के निर्माण के लिये अष्टाह्निक तपश्चर्या (५.१२), द्वारकावास (४.३४,५.४१), द्वारका-दहन (९.१५), अनिरुद्ध का तथा भानु का दुर्योधन की पुत्री के साथ विवाह (५.२५), यादवों की अत्यधिक मदिर सक्ति के कारण कृष्ण का वनगमन (६.१५), शरीरत्याग (८.१६,९.१५), बलभद्र का कृष्ण के शव को उठा कर घूमना (६.१६), शिशुपाल एवं जरासंध का वध ।।
उनके अतिरिक्त कृष्ण का पाण्डवों के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध होने के कारण महाभारत के अनेक प्रसंगों की भी चर्चा काव्य में हुई है, जिनमें ये उल्लेखनीय हैंपाण्डवजन्म (४.१६),द्रौपदी-स्वयम्वर (४.२१), द्यूत,द्रौपदी का चीरहरण (४.२२), पाण्डवों का द्वैतवन में वास, कीचक की नीचता (४.३०), कलि द्वारा नल को छलना (४.३२), कर्ण की वीरता (५.२४), धर्मयुद्ध (५.२७), अभिमन्यु की जलक्रीडा (५.३३), उसका वध (७.२२), भीम द्वारा बकासुर का वध (६.१२), नकुल की वीरता, शल्य का वध (६.१२) महाभारत युद्ध में द्रोण, भीष्म, दुःशासन आदि का वध (६.५५, ७.१२) ।
काव्य का कथानक नगण्य है। चरित्रनायकों के जीवन के कतिपय प्रसंगों को प्रस्तुत करना ही कवि का अभीष्ट है। इन घटनाओं के निरूपण में भी कवि का ध्येय अपनी विद्वत्ता तथा रचना-कौशल को बघारना रहा है। इससे कथानक के सामूहिक रूप में क्या वैचित्र्य पैदा होता है, इसकी उसे चिन्ता नहीं है । अतः काव्य में वर्णित घटनाओं का अनुक्रम अस्त-व्यस्त हो गया है। कतिपय प्रसंगों की पुनरुक्ति भी हुई है। राम तथा कृष्ण के चरित्र से सम्बन्धित सीता-विवाह, धनुभंग, वनगमन, खरदूषण-युद्ध, विभीषण का पक्षत्याग, रुक्मिणी-विवाह आदि कुछ ऐसी घटनाएँ हैं, जिनकी काव्य में, प्रत्यक्षतः अथवा प्रकारान्तर से, एकाधिक बार आवृत्ति की गयी है। राम के जीवन के निरूपण में, घटनाओं में क्रमबद्धता का खेदजनक अभाव है। उदाहरणार्थ, राम की पत्नियों, स्वर्णमृग और वानरों के साथ राम की मित्रता का उल्लेख पहले हुआ है, सीता स्वयंम्वर, वनगमन तथा राम के अनुयायियों के अयोध्या लौटने की चर्चा बाद में । जटायुवध से पूर्व सीताहरण, विभीषण के पक्षत्याग, शम्बूकवध, हनुमान के दौत्य, माया-सुग्रीव के साथ राम के युद्ध का निरूपण करना हास्यास्पद है। इसी प्रकार सीता की अग्नि-परीक्षा के पश्चात् धनुभंग तथा चित्रकूट-गमन का उल्लेख करना कवि की परवशता का द्योतक है।
___ काव्य में रामकथा का जन रूपान्तर प्रतिपादित है। फलतः राम का एकपत्नीत्व का आदर्श यहाँ समाप्त हो गया है। वे बहुविवाह करते हैं । सीता के अतिरिक्त उनकी तीन अन्य पत्नियों के नामों (प्रभावती, रतिप्रभा, श्रीदामा) का उल्लेख