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विजयप्रशस्ति महाकाव्य : हेमविजयगणि
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के सुपरिचित होने से वर्णनीय विषय तुरन्त हृदयंगम हो जाता है । कमा के हृदय को विरक्ति ने इस प्रकार प्रकाशित कर दिया जैसे तेल से भरे दीपक की बाती घर को आलोकित करती है (१.५७ ) । जयसिंह माता के साथ ऐसे शोभित हो रहा था जैसे दया से पुण्यवान् व्यक्ति ( ५ . ५१ ) । परदर्शन में गति प्राप्त करना उतना ही कठिन है जितना धन के बिना वेश्यागृह में प्रविष्ट होना ( ५.१०) ।
विजय ने अधिकतर उपमान प्रकृति से लिए हैं । ये उनकी प्रकृति के प्रति सहानुभूति के परिचायक हैं । दोहद की अपूर्ति से उत्पन्न पीड़ा तथा भावी पुत्रजन्म की प्रसन्नता ने कोडिमदेवी को ऐसे व्याप्त कर लिया जैसे दिन-रात एक-साथ मेरु पर्वत पर छा जाते हैं ( २. २४) । विजयसेन पर गुरु की अनुज्ञा के साथ गच्छ की चिन्ता का भार इस प्रकार आ गया जैसे अनुरागवती रात्रि के साथ चाँदनी, चन्द्रमा को प्राप्त होती है ।
अनुज्ञया साकमत्र गच्छचिन्तात्मको भार इयाय शिष्ये । ज्योत्स्नागमः शीतमरीचिबिम्बे त्रियामयेवानुरागमय्या ॥ ८.३१
विजय ने शास्त्र से भी कुछ अप्रस्तुत ग्रहण किए हैं। निम्नोक्त उपमा गणित पर आधारित है । नास्तिकों का मार्ग अंकरहित बिन्दु (जीरो) के समान निरर्थक है ।
जगन्मूलं न मन्यन्ते ये मूढाः परमेश्वरम् ।
तेषां पन्थाः वृथांकेन विना बिन्दुरिव ध्रुवम् ॥ १२.१४४
विजयप्रशस्तकार की उत्प्रेक्षाएँ भी उसकी अप्रस्तुतविधान की निपुणता को प्रकट करती हैं । कमा के घर के आंगन में दूब के अंकुर ऐसे लगते थे मानो गृहलक्ष्मी के केश हों ।
विरेजिरे द्वारजिरे तदीये दूर्वांकुरास्तत्र भृशं लसन्तः । निकेतनाम्भोनिधिनन्दनाया मनोहराः केशभरा इवामी ।। २.४३
अप्रस्तुत कार्त्तिकेय की अपेक्षा प्रस्तुत विजयदानसूरि की विशिष्टता बताने के कारण निम्नोक्त पद्य में व्यतिरेक अलंकार है ।
न ब्रह्मचार्यप्यजनिष्ट तुल्यः शीलेन यैर्जह्न सुतासुतोऽत्र ।
यतो यमध्वंसिनि बद्धरागो बभार यस्तारकवैरितां च ॥ ३.५२
प्रह्लादनपुर की नारियों के प्रस्तुत वर्णन में आपातत: उनकी निन्दा प्रतीत होती है, किन्तु वस्तुतः इस निन्दा के व्याज से उनकी प्रशंसा की गयी है । यह ब्याजस्तुति श्लेष पर आधारित है ।
मत्तमातंगगामिन्यः सुरार्थाश्चलदर्शनाः ।
निन्द्या अपि मुदे सन्ति यत्र त्रस्तमृगीदृश: ।। ४.११
जूनागढ़ के क्रूर शासक खुर्रम के स्वभाव का वर्णन दृष्टान्त के द्वारा किया गया है । गुरु के भाग्य से वह निर्दय राजा शान्त हो गया । चन्द्रमा के सम्पर्क से