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जैन संस्कृत महाकाव्य
तं तं तेन कृतं कृतान्तसदृशेमागश्च यं शृण्वतो रोषेणारुणदारुणाक्षियुगलस्योोत्थितरोमावले । शत्रूणामनिशं विनाशपिशुन: केतुस्ततानास्पदं
तस्यास्ये भ्रकुटिच्छलेन विपुले व्योम्नीव भूमीपतेः ॥ ६.३.२४ यहाँ कुमारपाल का हृदयवर्ती क्रोध स्थायीभाव है। अर्णोराज आलम्बन विभाव है। बहिन देवलदेवी का अपमान तथा उसके द्वारा कुमारपाल के सामने उसका वर्णन उद्दीपन विभाव हैं। बहिन की दुर्दशा सुनकर कुमारपाल की आँखों का लाल होना, शरीर का क्रोध से रोमांचित होना तथा भौंहों का चढ़ना अनुभाव हैं । अमर्ष, मोह, आक्षेप आदि संचारी भाव हैं । इन विभावों तथा संचारी भावों से पुष्ट होकर स्थायी भाव क्रोध की परिणति रौद्र रस में हुई है।
अधिकतर जैन कवियों ने जहाँ रोने-धोने में करुणरस की सार्थकता मानी है, वहाँ चारित्रसुन्दर ने उसकी पैनी व्यंजना से हृद्गत शोक का संकेत किया है । समरभूमि में मन्त्री उदयन की मृत्यु का समाचार सुनकर राजा कुमारपाल का मुँह शोक से म्लान हो गया। 'श्यामवक्त्र' शब्द में करुणा की असीम गहनता छिपी
ज्ञात्वा वृत्तं कुमारो मृतमिति शोचयन् (?) श्यामवक्त्रः।
प्रोत्फुल्लास्यो जयेनाजयदसिततमामष्टमी रात्रिमेवम् ॥ ६.४.३१ चरित्रचित्रण
कुमारपालचरित में काव्यनायक के अतिरिक्त हेमचन्द्र, उदयन, वाग्भट, कृष्ण, आम्बड़ आदि कई पात्र हैं, परन्तु उनके चरित्र का समान विकास नहीं हुआ है। कुमारपाल तथा हेमचन्द्र के व्यतिक्त्व की भी कुछ रेखाएँ ही काव्य में अंकित हुई हैं। कुमारपाल
__कुमारपाल काव्य का नायक है। काव्य में उसके चरित्र की दो विरोधी विशेषताएँ दृष्टिगत होती हैं- राजोचित पराक्रम एवं नीतिमत्ता और अविचल धार्मिक तत्परता। सिंहासनासीन होने से पूर्व उसे, जयसिंह की वैरपूर्ण दुर्नीति के कारण, विकट परिस्थितियों तथा हृदयबेधक कठिनाइयों से जूझना पड़ता है, किन्तु अपनी सूझबूझ तथा साधन-सम्पन्नता से वह उन सब पर विजय पाता है और कष्टों की उस भट्ठी से कुन्दन बनकर निकलता है। राज्याभिषेक के पश्चात् उसकी नीतिनिपुणता को उन्मुक्त विहार का अवसर मिलता है। सिंहासनारूढ़ होते ही वह, कुशल तथा दूरदर्शी प्रशासक होने के नाते, अपनी शक्ति को दृढ़ बनाने में जुट जाता है । वह विरोधी शासकों को स्वयं अथवा मन्त्रियों के माध्यम से धराशायी करता है । आज्ञा की बार-बार अवहेलना करने वाले कृष्ण को, भरी सभा में, प्राणदण्ड देकर वह अपनी कठोर प्रशासनिक नीति तथा कार्य-तत्परता की निर्दय मिसाल पेश करता है ।