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उत्तर -प्रिय मित्रयायं । यह पा रहाद मिसात
पर अवलम्बित। पगाशि स्यादाद में प्रत्येक पदार्थ मापेक्षिक भाष में रहता है जो कि जीप सत्रिय भी है और अक्रिय भी क्यापि 37 भूमों में जीवधिया और अजीपरिया इस प्रकार किया के भेद प्रतिपादन किये गए हैं साथ ही यह भी प्रतिपादन पर दिया है कि मायाल किया और मिग्यात्य रिया यह दोनों जीय किया के भेद परतु इयांपथिली और ममुदान की रिया यह दोनों अजीय प्रिया के भेदो आत्मा सम्यक्त्य प्रिया ए दाग अजीय पिया से रहित होकर निर्याण पर प्राप्त कर देता है किन्तु जीय मिया में अपेग से जीय मोम में भी अधियता ही धारण पिये रहता है जैसे कि-य आत्मा नर्यश और सदी दो जाता है तय उम आत्मा पे माय एक उपयोग आत्मा भी रहता है। जो कि आमिर सम्यस्त्व हो नाने मे पिर आनशान में धल्पीयर्यातगय कर्म ये भय पे कारण से उपयुक्त पराता है वही जीर की अनियता (ठा) सिद्ध करता है जिन्तु निनो द्वाग आठ धमाका आत्मा के साथ अपन होनाव नपा आरमा पुगर