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जीवनमुक्त केवली भगवान् हैं। उनके शुभ नाम अर्छन्, पारगत, जिन, सर्वेश, सर्वदर्शी, वीतराग इत्यादि नाम कहे जाते हैं ये मदैवकाल अपने सत्योपदेश द्वारा भव्य जीवां पर परोपकार करते रहते हैं ।
उनके अमृत मय उपदेशों से लाखों प्राणी अपना उद्धार करलेते हैं किंतु वे आयुष्यकर्म, वेन्नीय कर्म, नामकर्म और गोन कर्म इन चारकमी से सयुक्त होने हैं।
परंतु जो सिद्धभगवान हैं वे सर्वथा कर्मों के वचनों मे विमुक्त है | उनका आत्मा कर्म कलक से रहित होने मे सर्वज्ञ वा सर्वदर्शी अनंत शक्ति वाला होता है। ये सदैव आत्मिक सुल का अनुभन करते रहते हैं । वे ज्ञानात्मा से सर्व व्याप माने जाते हैं, उनके शुभ नाम अनत है और उन्हीं को ईश्वर, परमात्मा, अजर, अमर, भिद्ध वा बुद्ध, पारगत वा परम्परागत ज्योतिस्त्ररूप इत्यादि नामों से कहा जाता है । च भव्य प्राणियों के शरण भूत हैं ।
इस प्रकार उक्त पाचों झाना की अपेक्षा से द्रव्यात्मा को नानात्मा भी कहते है ।
जिन लोगोने द्रव्यात्मा को ही सर्व व्यापक मान लिया होजाता है क्योंकि
व्यापक हो
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हे उनका मत सत् युक्तियों से सडित जय द्रव्यात्मा ही सर्व अपने अवयों से