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कथन किये गए हैं और लपण समुद्र में एक रूपादि ५६ अन्तर्वीप मी मनुष्यों के ही क्षेत्र हैं। इस प्रकार सर्व एकत्र करने से १०१ मनुष्य क्षेत्र होते हैं । सो एक सौ एक पर्याप्त और एक मी एक अपर्याप्त इस प्रकार करने से २०० भेट 'मनुप्यो होगए । फिर इन्हीं भेदों वाले मनुष्यों
के अवयवों में जो समुठिम मनुष्य होते हैं अर्थात् , एक सौ एक. क्षेत्रों में समुहिम मनुष्यों की .. उप्तत्ति होती है। इस प्रकार सर्व एकत्र करने में
". ३०३ भेद मनुष्यों के प्रतिपादन किये गए हैं। प्रश्न-समुच्छिम मनुष्य किस प्रकार से उत्पन्न होते हैं ? उत्तर-जो गर्भ से उत्पन्न हुए मनुष्य हैं उनके मल मूत्राति
में जो जीय उत्पन होते हैं उन जीनों की मनुष्य । सज्ञा है अत उन्हें समुच्छिम मनुष्य कहते हैं । मन --मनुष्य के किन ? अवयवों में वे समुछिम मनुष्य
उत्पन्न होते हैं ? उत्तर --मनुष्य के [१४] चतुर्दश अवयों में वे समुच्छिम
मनुप्य उत्पन्न होते हैं। प्र -ने - २ से है ?
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