Book Title: Jain Dharm Shikshavali Part 07
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Swarup Library

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Page 206
________________ २३ स्त्री-पुरषों की की हुई काम क्रीडा की स्मृति न करे। जिनदास स्मृति करने से किम दोष की प्राप्ति होती है ? 1 जिनदत्त ससे। जिस प्रकार किमी व्यक्ति के साथ किमी कष्ट ये ममय किसी ने सदूवतीन किया और किसी ने उसको और भी कष्ट दिया जन वह व्यक्ति क् मे विमुक्त होता है तन वह किसी समय उन दोनों व्यक्तियों के नि की स्मृति करता है तन जिसने उसके साथ सतय किया था उसका उपकार मानता हुआ उसके प्रति राग भाव प्रकाश करता है । परतु निसने और भी कट दिया था उसके afe की स्मृति करता है तब उसके भावों में सक्रेग और वैर भाव उत्पन्न होने लग जाता है । सो निम प्रकार यह वर्ताय स्मृति किया हुआ राग और द्वेष के उत्पन्न करने का कारण बन जाता है ठीक उसी प्रकार पूर्व भोगे हुए काम की यदि स्मृति की जायगी तब वह भी भावो के बिगाडने का कारण वन जायँगी अतः स्मृति न

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