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आत्मा मम्यग् नानि के द्वारा ठीक • पार्थों का अनुभव कर सत्ता है।
___ अत प्रत्येक ज्यात मो योग्य है कि यह साधन द्वारा साध्य की प्राप्ति करे या उसकी सोज करे।
पाठ दसवा।
आत्मानुप्रेक्षा। प्रिय मुझ जनों । यावत्वार पर्यंत आत्मा सानुभव नहीं करता तायत्काल पर्यंत आत्मा आत्मिक मुग्यो से वचित ही रहना है। क्योंकि समार में देसा जाता है कि प्रत्येक आत्मा मुग्नान्वेषी हो रहा है परत उस अन्नैपण के मार्ग मिन • दियाइ पडते हैं। जैसे कि - किसी • आत्मान धन की प्राप्ति में ही मुस मान रक्या है और दिमी । आत्माने निगाह कार्य म मुन माना हुआ है।
तथा क्सिी • आत्मा ने पतोत्मय म ही मुस माना हुआ वा रिमी - आत्मा ने अपनी अमीष्ट सिद्धि म मुल समझ रक्सा है ।यनि विचार कर देगा जाय तो वे सब " मुम के अन्वेषण करने के मार्ग वास्तव में सुमार्ग नहीं है।
क्याकि उन मागी से यदि किसी आत्माको पनी रानुसर सुस उपर ध भी हो जाये तो वे मुस'चिरस्थाया