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अतएव हे मित्र । कौनसा शारीरिक या मानसिक रोग है जो भैथुन प्रीडा से उत्पन्न नहीं होता ?
सो मैथुन प्रांडा को छोडकर ब्रह्मचर्य के प्रत क आश्रित होकर अपने जीवन को पवित्र पाना चाहिये। क्योंकि इस नियम के आश्रित होकर सब प्रकार की सिद्धिया उत्पन्न हो सकी हैं
जिस प्रकार सर्व प्रकार के वृक्षा में अशोकन (फ्ल्पवृक्ष ) अपनी प्रधानता रसता है ठीक उसी प्रकार मर्व प्रतों में ब्रह्मचर्य घ्रत अपनी प्रधानता रसता है। जिनदास'-अह्मचर्य में प्रत्यक्ष और परोक्ष गुण कौन २
जिनदत्त.-सखे । ब्रह्मचर्य में प्रत्यक्ष और परोक्ष भनेक
गुण हैं। जिनदास:-मित्र । आप उन गुणों का यथा विधी उपदेश
दीजिये। जिनदत्त.-मित्र | आप दत्त चित्त होकर सुनिये । जिनदास'-.-मै सुनता हू, आप सुनाइये । जिनदत्तः-मेरे परम प्रिय सुहृदद्वर्य १ सयसे प्रथम तो
ब्रह्मचर्य व्रत धारण करने से यह लाभ प्राप्त होता है कि शारिरिक शक्ति का दिन प्रतिदिन