Book Title: Jain Dharm Shikshavali Part 07
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Swarup Library

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Page 191
________________ ससार म मनसे बढकर अधर्म कौनमा है ? मैथुन क्रीडा चित्त को विभ्रम कौन उप्तन करता है ? मेथुन क्रीडा बालयों को मुग्न की सौन्यता और चचरता के नाम करने वाग कौन है ? मेथुन क्रीडा प्रत्येा प्राणी से पैर करने का मुरय कारण कौन है ? मैथुन क्रीडा. फोनमा गुप्त पाप किया हुआ जनता म शीघ्र प्रस्ट होनाता है? __ मैथुन क्रीडा ब्रह्म से यौन नहीं मेल होने देना, मथुन क्रीडा . . . सय काल मनको मतापाम फोन धारता ता.१. मेथुन क्रीडा ।। राम ने रावण को क्यों माग?" मेथुन क्रीडा के कारण से

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