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को प्राप्त होरहात तो कोई दुष्ट आत्मा धन और यत्रा का भी आभूषण या म वाटा पे यत्र उतारकर नायगा । तथा कोई आर्य भाष या प्राप्त हावर उस वाकवा प्राणों से ही विमु कर देगा अथान मार देगा | तथा कोई दु मनुष्य उस वारय यो हरी पर पाया। इत्यादि आभूषण व वस्त्रा द्वारा अनेक मा मामला उस बालक को करना पड़ेगा ।
माथही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिये कि जब उम काम शरीरवार वार को विभूषित किया जाता है
तय उम वाटप पर धाम राग के आमेयी जा उस पार का यदावार में प्रयुक्त करावेंग जिससे उस वालय का सदाचार बुद्ध समय के पश्चात् ही न भ्रष्ट होनायगा । अवश्य बुछ महत्लयाक समया का छोडकर देव का? पालकों को विभूषित करते रहना में पवित्र जर पोचार
म प्रवृत्त कराने का तु यन जाता है ।
अतण्व पिताओ को यो अपने प्रिय पुत्रा या दिया और मदाचार मे विभूषित करने की करते रहें ।
तथा यदि मुख मागा घा घायों को दिया जायगा तन के बालक बहुत शीघ्र कदाचार में प्रवृत्त होणायेंगे जैसे
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