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तथा दूसरे जिन औषधियों के प्रयोग से जल जमाया
जाता
है वे औषधिया रोगों के निवारण करने में सहायक पे मिवाय नहीं होतीं अतः इसके सेवन से क्षणमात्र के सुम किसी प्रकार से भी शांति की प्राप्ति नहीं होती। इसीलिये सुझ पुरुषों को योग्य है कि वे इसका सेवन कापि न कर 1
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इसी प्रकार सोडावाटर की शीशियों के विषय में भी जानना चाहिये। इनका सेवन भी मुख्य प्रद नहीं देखा जाता क्योंकि रुक्ष पदार्थों के सेवन से मन की शुद्ध वृत्तिया नहीं रह सक्ती । जब मनकी वृत्तियां ठीक नहीं रहीं तो बतलाइये फिर कौनसा दुस है जो फिर अनुभव नहीं करना पडता ?
इसी प्रकार विदेशी साड, विदेशी घृत इत्यादि अनेक प्रकार के पदार्थ हैं जो भक्षण करने के लिये स्वदेश में उपस्थित हैं उन सब से बचकर स्वदेशोत्पन्न सतोगुणयुक्त आर्य आहार द्वारा अपने पवित्र शरीर की पालना करना चाहिये ।
जैसे कि क्ल्पना करो कि एक व्यक्ति पवित्र गोदुग्ध के द्वारा निर्वाह करता है और एक मदिरा पान द्वारा अपना पवित्र जीवन व्यतीत करना चाहता है सो इसका परिणाम पाठकों पर ही छोडते हैं कि वे स्वयं निर्णय करें कि किसका जीवन सुख पूर्वक व्यतीत हो सकेगा ?