________________
१५०
सफलता देखी जाती है तथा उपपे कष्टों के समय सहानुभूति भली प्रकार से दिलाते हुए अहिंसा धर्म की प्रभावना भी की जासति है । अतण्व मिद्धात यह निकला कि उचित व्यवहार रखते हुए सर्व कार्यों की सफलता भली प्रकार से पी जा सकी है ।
1
पुत्र पिताजी । जाता के साथ किस प्रकार से वर्तना
चाहिये ?
पिता-पुत्र । देश या पाट शान को भी प्रकार रसते हुए जनता के माथ प्रेम था योग पूर्वक वर्तना चाहिये परन्तु मिथ्या हठ था कदामह कदापि करना चाहिये क्योंकि जो लोग देश के पाल ज्ञान को भली प्रकार से नहीं जानते या पदामी हैं वे कदापि जाति या धर्ति नहीं कर सके अतएव सिद्ध हुआ कि मिथ्या छठ को छोडकर पेवल देश कree बनना चाहिये ।
-
पुत्रः-- पिताजी । सविद्या किसे कहते है !
पिता – जिस विद्या के पढने से पदार्थों का ठीक २ बोध होजाय !
पुत्र - पिताजी । पदार्थों के ठीक २ बोध हो जाने से फिर किस गुण की उपलब्धि होती है ?