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७ चौर्य कर्म - बिना आता 'किमी' की वस्तु को
उठा लेना उसे ही चोरी कर्म कहते हैं । मो इसका परिणाम सर लोग जानते ही है । अतन विर्ना आज्ञा किसी भी
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पदार्थ के उठाने की इच्छा न करनी चाहिये ।
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साथ में इस बात का भी ध्यान रखना चाहिये कि जब अपने साथ म वस्तु का मयोग है तो भले महस्रों ही निघ्न उपस्थित क्यों न होजाय तदपि उस पदार्थ का सयोग अवश्यमेव मिल जायगा । किंतु जब अपने भाग्य में पदार्थों का मयोग नहीं है तो फिर चौर्य कर्म से क्या फल मिलेगा ? अर्थात कष्ट | अतएव स्वकीय पुण्य और पाप के फलों का विचार कर उक्त व्यसन मे निवृत्ति कर लेनी चाहिये |
अतएव हे पुत्र । उक्त कथन किये हुए सात ही व्यसनां स प्रत्येक प्राणी को पृथक रहना चाहिने जिसमे होनों लोक में सुख की प्राप्ति हो सके ।
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पुत्र - पिताजी, वाणी कैसी बोल्नी चाहिये ?
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पिता - हे पुरा । वाणी सदा मीठी और सत्य बोलनी चाहिये ।
पुत्र पिताजी । सत्य वचन बोलने म किस गुण की प्राप्ति
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होती है ?
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पिता-पुत्र
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| सत्य घोटने से एक तो आत्मा का हृदय ता है दूसरे छल आ
क्रियाओं में