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विशुरता, द्रोह,भाष, व असूयादि अवगुण क्वापि
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वर्तान में न लाना चाहिये । किन्तु जिस प्रकार
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farara aढता जाय उसी प्रकार उनके साथ
वर्तना योग्य है ।। - }},
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पुत्र - पिताजी अपने अध्यापकों और महोपाध्यायों के माथ किस प्रकार बर्तना चाहिये ?
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पिता-पुत्र | अपने अध्यापकों और महोपाध्यायों के साथ विनयपूर्वक वर्तना चाहिये और पठनादि क्रियाओं,
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के विषय में उनकी आज्ञा पालन करनी चाहिये
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इतना ही नहीं किन्तु उनको विद्या गुरु वा शिल्पा
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चार्य समझते हुए उनकी मन, वचन और काय
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तथा धनादि द्वारा उनकी सेना ( पर्युपासना )
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करनी चाहिये । और उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिये |
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पुरा:- पिताजी " यावन्मान अपने सम्बन्धी हैं ' या भगिनी
और भ्राता है उनके साथ किस प्रकार वर्तना चाहिये ।
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है या है हुआ है उपलब्
पिता - प्यारे पुन । यावन्मान स्वकीय सगे सम्बन्धी हैं उनके साथ प्रेमपूर्वक और योग से बर्तना चाहिये ।
परस्पर
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