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या किसीने साड से वाधे हुए को विना विचार मे वालु रानी में गेर दिया फिर अकस्मात उस साड के वस्त्र की माह खुलजाय तर सर्व साड बालु की राशि में मम्मिलित हो जायगी।
इमी प्रकार प्रत्येक कार्य के विपय में समावना कर लेनी चाहिये।
यदि मल भूनाति के गेरने का ममय उपस्थित हो जाय तब भी विचार की अत्यत आवश्यकता रहती है क्योंकि निना योग्य स्थान के लेखे उक्त पढायों का गेरना दुसरा और रोगप्रद तथा घृणास्पद हो जाता है । ___ अतएव उक्त पदार्थ भी बिना विचार से न करना चाहिये । तथा जिस स्थान पर पहिले मल मूत्रादि पदार्थ पड़े हुए हों उस स्थानपर मल मूत्रादिन करना चाहिये ।
कारण कि मलमूश करने से एक तो जीवहिंसा दूसरे रोगों की प्राप्ति होने को मभावना की जा सती है क्योंकि मल, मूग मे असत्यात समुन्ठिम जीव उप्तन्न होते रहते हैं मो जन उन जीवों पर मल मूत्र किया गया तो वे जीव मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं।। ___ तथा अति दुगंध होने से फिर कई प्रकार के रोगों के उभन्न होने की सभावना हो जाती है सो इस प्रकार की दियाए भी विना विचार में न होनी चाहिये ।