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१०२ या वेप पहनाकर गजद्वार में भेजा जाय तो पिर. यह क्या उस वेप पहनने से ही विद्वान वा प्रोफेसर तथा डाफ्टर आदि उपाधियों के काम देने में ममर्थ हो जायगा ? कदापि नहीं। यदि ऐमा कहा जाय नि उमरा येप तो यही है तो इसके उत्तर में कहा जा सका है कि उसम विधा नहीं है पेवर वेप क्या यना सपा मो इसी प्रकार पुण्य रूप तस्य आत्मा पे थाहर, रूप वेप को पवित्र यनाता है नतु अतरग आत्मा को । क्योकि पुण्य पेपर अघाति म रूप पमों का पल है।
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अतण्य निस प्रकार सुदर आभूपण या भुदर रूप, पत्र घाल रूप शरीर को सुदर या अलपत करते हैं उसी प्रकार पुण्य तत्व विषय में भी जानना चाहिये ।। प्रश्न-पास्तप म तत्व शब्द का अर्थ क्या है ? उत्तर:-पदाय धारसधिक सरूप को तत्व कहते हैं। प्रश्न:-पुण्य तत्व किन कारणों से जीव यायते हैं १ . उत्तर--ना प्रकार से जीव पुण्य कर्म था सचय करते हैं। प्रश्न-ये कारण कौन २ से है ?' उत्तर -मुनिये (अन्न पुण्णे ) अन्न दान से १ (पाण पुण्णे) र पानी के दान से २ (लयण पुण्णे ) गिरी आदि की