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१०० क्योंकि उम आत्मा या आदेय माननीय ] नाम धर्म, याधा हुआ होता है जिससे उसकी क्या की हुई वा सर्वत्र माननीय यन जाती है।
अतएव पुण्य रूप परमाणु समार पा में आत्मा का शुभ और पवित्र रूप यनाते हैं।
इतना ही नहीं तुि पुण्याप आत्मा ये साल मनोरथ । चिंतन किये हुए सफल हो जाया करते हैं।
देव योनि आनि यहुत सी योनिया उसष्ट पुण्य के प्रभाव से ही औधा को उपलब्ध होता? निससे किसी नय की अपेक्षा से "ज्ञेय " म पुण्य होने पर भी उपाय ( प्रहण करने योग्य) प्रनिपादन किया गया ।
सो पूण्य रूप मिया पेपल शुभयोगों पर ही निर्भर है । अतण्य इस पाठमें इसी विषय को स्पष्ट रूप मे धनराने की पेप्टा भी जायगी। प्रश्न-पुण्य तत्व किसे कहते हैं ?, उत्तर -जो ससार में जीवों को गुभ वा पवित्र यनाचे । प्रश्न-पुण्य को तत्व क्यो माना गया है ? उत्तर - यह र मुरय रूप पुद्गलों का वध होता है
जो अनेक विपत्तियों से निकाल कर फिर जीर को