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नवमेवेयक देवलोक जैसे -
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भद्र १ सुमद्र २ सुजात ३ सोमनस्य ४ प्रियदर्शन ५ मुशन ६ अमोघ ७ सुप्रतिवद्ध ८ यशोधर ९
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पार अनुत्तर विमान
,
विजय १ वैजयत्त २ जयत्त ३ अपराजित ४ 'ओर
सायमिद्ध ५ ।
नव लोकान्तिक देव
सारस्वत १ आदित्य
पृष्णी
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३ वारुणी ४ गधतोय ५ तुपिता ६ अनाव्याध ७ आगत्य ८
और रिष्ट ९ ।
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तीन प्रकार के किल्पिक देन
१ तीन पल्योपम की आयु वाले किलिपी देव ज्योतिपी देवों के ऊपर हैं परंतु प्रथम द्वितीय स्वर्ग के नीचे है • सीन मागरोपम की आयु वाले फिल्लिपी देव प्रथम द्वितीय स्वर्ग के उपर है किंतु तृतीय और चतुर्थ स्वर्ग के नीचे हैं । ३ त्रयो सागर की स्थिति वाले किलिपी देव पाचवें स्वर्ग के उपर और छठे स्वर्ग के नीचे हैं ।
१५ जाति के परमाधामी देव जैसे कि
अम्न १ अम्बरस के नाम ३ शक्ल ४ रोद्र ५ विरोह ६ का ७ महाकाल ८ अभिपन ९ धनुष्पन १० कुथी ४१ वा १० वैदारण १३ सरसर १४ महाघोप १५