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मन:-जन आत्मा मनुष्य गति में आता है तब क्सि
- प्रकार से आता है ? उत्तर ---प्रकृति से भद्रता, विनीतता, आर्जव, और अमत्स. रतादि गुणों से जब जीव युक्त होता है तन आत्मा
मनुष्य गति में आता है। म. मनुष्य गति के कितने भेद हैं ? उत्तरः-संग्रह नय के मत से तो केवल मनुष्य जाति का . एकही भेद है। परतु व्यवहार नय के मत मे ३०३
भेद प्रतिपादन किये गए हैं जैसे कि कर्म-भूमिक मनुष्य, जर्म-भूमिक मनुष्य और अतीपों के
मनुष्य तथा समुच्छिम मनुप्य ।। मन्न -कर्म-भूमिर मनुष्य किसे कहते हैं ? उत्तर --जो ७० क्लाए पुस्पा की ६१ क्या स्त्रियों की
१०० प्रकार की शिल्प करार जो इनके द्वारा अपना जीवन व्यतीत करते हो उन्हे. ही का भूमिक मनुष्य कहते हैं तथा जहा पर सटग विधि, हेवन विधि, वा पि नर्म द्वारा जीवन व्यतीत किया जा सके, उसीको कर्म-भूमि मनुष्य कहते हैं क्योकि जर देश, धर्म, सुव्यवस्थित दशा पर हो जाता है तन कर्म-भूमिर मनुष्य अपने • मुगृहीत पमा द्वारा जीवन व्यतीत करने लग आते हैं।