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दिन प्रकार के प्रकार से सुर, और मैी पर (नेये निर्धारि का पाद) य
पण किये गए है ।
वर्णन राका पाद
परमप, शेमरी, समुद्र, और ि वर्णन किये गए हैं ।
अदि, अनगर, मोर, अगाडि, इत्यादि पुर म ये भेद है। गौरी इत्यादि
पर सपों के
है।
योनि
पापि
योनि
उसकी
एक ही है ।
भय
पर उपस्थित होउनि
योनि
म जीव उत्पन्न क्या होता है ? इस का के समाधान में कहा जाता है कि जी अपने किये हुए कर्मों के प्रयोग में हा उत्पन्न होते है किंतु किमी अन्य आत्माओं की प्रेरणा से उत्पन्न नहीं हाते |
जब आत्मा कर्म करता है उन फर्मों के निमित्ता का भी वास्ता है। निमवार विना पादलों में वर्षा नहीं हो ठीक उसी प्रकार बिना निमितों में मिले मात्र भी नहीं भागा नाममा ।