________________
लोध के नामसे कहा जाता है। जिसे फिर वह पदार्थ ज्ञान के उपयोग मे आजानेसे साकारापयोग में आनाता है।
२ अचक्षुदर्शन:-आसों के विना चारों इहियों द्वाग वा मन के द्वारा जिन २ पदार्थों का निर्णय बिना किये मामान्य बोध होता है उमे ही अच सुदर्शन कहते हैं। जैसे कि यह किमका गट है ? आदि ।
इसी प्रकार जब घ्राणेंद्रिय में किसी गध के परमाणुओ का प्रोग होता है तर उसीके निपय में भी प्रागवत् जानना चाहिये।
तमा जन रमनेंद्रिय में पुद्गल प्रविष्ट होते हैं तर भी पहिले उनका सामान्य बोध ही होता है । इसी प्रकार जर स्पमंद्रिय में पुद्गलों का स्पर्श होता है तब भी उम सर्ग द्वारा शीत वा उणादि स्पों का सामान्य बोध ही होना है।
सो इस प्रकार के चोय का नाम मामान्य घोध है। तथा जन कोई स्वप्न आता है ता प्रतिमोध हो जाने पर उस पर विचार किया जाना है कि मुझे क्या यही स्वप्न आया है वा अमुक ? इस प्रकार के गोप को नोइद्रियदर्शन कहा जाता है तथा ये सर भेद अचक्षुदर्शन के ही हैं।
- जव अवधिदर्शनावरणीयः क्षयोपशम
'वर अरधिदर्शन प्रकट