________________
बा सत्ता है। साथ में इस यात का भी ध्यान करना चाहिए कि जो मुक्तात्माए है उनकी द्रव्यात्मा, शानात्मा, दर्शनाला उपयोगात्मा ये चार आत्माए तो सदैव रहती ही है परंतु असा बलवीर्यात्मा शक्ति रूप से तो विद्यमान है ज्यावहारिक शियारूप से नहीं। क्योकि व्यावहारिक क्रियाओं में प्रया होकर फेवल सम्यक्त्वाति अतरग प्रियाया से ही सत्र का रहती हैं। पायात्मा और योगात्मा से नो ये सवार पृथक रहती हैं और न उनमे द्रव्य चारिमात्मा ही
किंतु अनत ज्ञानादि की शक्ति सम्पन्न । अन इस प्रकार बलवीर्यात्मा की व्याख्या की गई है।
पाठ सातवां।
जीव।