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उत्तर --तिम समय जीय Trय गति में वापर अन्न
होता है उस समय पर पट पदार्य सम्पूर्ण (पर्याप्त) परता है जैसे हि आहार पर्याप्त १ शारीर पर्याप्न ० इद्रिय पर्याप्त ३ शामोरनार पर्याप्त ४ मन पर्याप्त ५ और भापा पर्याप्त ६। निस ममम
छ पार्थ अपूर्ण दगा में होते है उम समय जीव यो अपर्याप्त दशा में कहा जाता है परन्तु जिस समय उक्त छ हो पा मम्पूर्ण दशा में हो जाते हैं तय जीव यो पर्याप्त कहा जाता है। मो उक्त प्रकार से पारपीय जीयों ये १४ भद
कहे जाते हैं। प्रश्न-तिर्यग् गति किसे कहते हैं ?
उत्तर --जिस गति में जीप नाना प्रकार के दुमा का
अनुभव परता रहे और टेढा होकर गमन परे इतनाही नहीं तु प्राय, अपनी आयु फ्लि
भानों में ही पूरी करे। प्रश्न निर्थग् गति में रहने वाले जीया ये किसने भेद है ? उत्तर --यद्यपि तिर्यग गति पे रहने वाले जीवों के अनेक
भेद वर्णन किये हैं तथापि मुरय भेट् उक्त गति म रहनेवाले जीवों के ४८ वर्णन किये गए हैं।