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__ या नाम वारवीर्य है। क्योंकि जिस प्रकार बालकों का
परिश्रम वा बाल निडा किसी विशेष अर्थ के लिये नहीं होती ठीक उसी प्रकार बालवीर्य भी मोक्षसाधन नहीं बन सका। ___ यथापि बालवीर्य द्वारा शत्रु हनन क्रिया, स्वकीय जय पर का पराजय करना, मासारिक 8 सुग्यों का संपादन, अर्थ और कामम निशेप प्रवृत्ति और उमका यथोचित सपादन, नाना प्रभार के यत्रोका आधिकार । माम, दाम, दह, भेदादि नीतियों में प्रवृत्ति इत्यादि सहस्रों क्रिया की जाता हैं और उनकी सिद्धि के फलों का अनुभव भी पिया जाता है परतु वे क्रियाए मोक्ष सावन में माधक नहीं बन सकीं। इमी कारण से उन्हें बालवीर्य कहा गया है।
तथा यावन्मात्र अधार्मिक क्रियाए हैं जैसे कि -धर्म, अर्थ और काम के लिये जीव हिंसा वा असत्यादि भाषण घे मत्र बलवीर्य में ही गिनी जाती हैं।
यही कारण है कि आत्मा अनादि कालचक में उक्त वीर्य के द्वारा ही परिभ्रमण करता चला आया है।
- यालपडित वीर्य -तृतीय वीर्य का नाम पडितवीर्य है। इसमें प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों बातें पाई जाती हैं। क्योंकि इस गुग वाला आत्मा अर्थ, काम के सेवनके समय साथ ही धर्म • किये जाता है।