________________
प्रकार जानना यही आत्मा का ज्ञान गुण कहाजाता है सो प्रत्येक पार्थ का ठीक ज्ञान होजाना फिर क्रियाओं द्वारा अपने अभीष्ट की सिद्धि करना इससे आत्मा विशुद्ध होकर निर्माण प्राप्त करता है जैसे कल्पना करो कि एक वस्र मलसे मलीयस होरहा है तर ज्ञान से जान लिया गया कि यह वन मल्से मलीन होगया है फिर क्रियाओं द्वारा उसे शुद्ध किया जासत्ता है जैसे कि भार पदार्थ या स्वच्छ जलादि की पूर्ण सामग्री के मिल जाने से वह वष अपने निज गुण को धारण कर लेता है ठीक उसी प्रकार असरय प्रदेशी आत्मा अनत कर्म वर्गणाओं से लिप्त होरहा है तब वे वर्गणाए तप सयमादि के द्वारा आत्म प्रदेशो से प्रथक की जासकती हैं जब वे वर्गणा सर्वथा आत्म प्रदेशों से प्रथक होजाती है सन आत्मा अपने निज स्वरूप में प्रविष्ठ होजाता है जिससे फिर उसके आमिर
गुग भी प्रस्ट होजाते है। प्रश्न -निया रे द्वारा कर्म किये जाते है जब तक क्रिया
का निरोधन नहीं दिया जायगा तबतक कर्म भी आने से नहीं रूकेंगे अतग्व, यह मानना मि निया से जीव कमां से रहित होजाता है यह पल्प म्वय वाधित