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३ उत्तर -जिसके द्वारा पदार्थों का सरूप जाना जाय उसे
ही ज्ञानात्मा कहते हैं। .. प्रश्न-ज्ञान शब्द करण,मावन है या अधिकरण साधन है ? उत्तर -रणांसाधन भी है और अधिकरण साधन भी है । प्रश्न:-इस विषय में कोई प्रमाण दो |-- , उत्तर -जर ऐमा कहा जाय कि अमुफ, पदार्थ, का स्वरूप -~- . मानसे जाना गया वन तो मान,शब्द को करण....माधन माना जायगा और...अर. यह माना जाय
कि ज्ञान ज्ञायक है ना ज्ञान में, प्रदार्थ ठहरते हैं . . . तब उस समय ज्ञान को अधिकरण साधन
माना जायगा। .. . - प्रश्न-परण को तो साधकतम माना गया है सो करण
क्ता की रिया मसिहायक होता है किंतु जब पर्ता “अपना अभीष्ट क्रिया से निवृत्त होता है तब उसकी महायता करनेवाला करण भी उस कर्ता से पृथक
होजाता है। जिस प्रकार किसी ने इस वाक्य का 1 प्रयोग किया कि यह पुरुप पशु मे काष्ट (को)
भेदता है, । सो पुरुष की भेदन क्रिया,मे पशु (कुन्हाडा) महायक है। परंतु जय, वह अपनी
निया से निवृत्त होता है तब उस पुरुष की क्रिया - में, सहायक पशु भी फिर उस पुरुष मे पृथक