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मद अमुक व्यक्ति पर इस प्रकार से अवग्रह से विशिष्ट ईहारूप ज्ञान को प्राप्त कर लिया।
३ अवाय-जय इहा द्वारा अमुर का शब्द है इस प्रकार का अवयोध हो चुका तर फिर यह -अवाय द्वारा निश्चय करता है कि यह शन्ट अमुक व्यक्ति का ही है या यह अमुक पदार्थ हो । अन्यथा नहीं है। इस प्रसार के निश्चयात्मक वाक्य अवाय मतिज्ञान के भेद ये होते हैं "क्योंकि इहा के अों का निर्णय अयाय द्वारा ही किया
जाम्पत्ता है । इसलिये भतिज्ञान का तृतीय भेट अयाय रूप है वर्णन किया है।
धारणा-नय पदाय? या अयाय द्वारा निर्णय भली प्रकार किया जा चुगा तो फिर उस निर्णात अर्थ की मन से धारणा करनी उसीश नाम धारणा है और वह सरयात पार वा अरियात काल की प्रतिपादन कीगई है क्योंकि धारणा का सम्बन्ध आयुष्कर्म के साथ है सो यदि नख्यात फाल की आयु तो धारणा भी सख्यात काल पर्यत रहसक्ती है । यदि अरियात काल की आयु है तो धारणा भी असंख्यात काल की हो मफ्ती है। ., अताग्य धारणा घे दो भेट किये गए हैं तथा अधिन्युति १ वासना और स्मति ३ इस प्रगर धारणा के तीन भेद वर्णन किये गए हैं। इनका अर्थ निम्न प्रकार जानना चाहिये।