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छुपा हुआ है। जिम प्रकार मिस मगपारित और मानमियदुनों ग रग मी प्रमा मग आत्मा भी उE गुण घाण करने में समर्थ ।। जिस प्रकार मिद भगया धाया मायावर गुणमे युग है टीक उसी प्रकार मोदनीय धर्म भय करने में वह उक्त गुग मेग आत्मा में भी
उत्पन्न हो सकता है। प्रश्न --आत्म विगुद्धि परी के रिय मुख्य पान उपाय
उतर --न स्त्रों में आत्म विशुद्धि पग्ने पे लिय मुग्य
दो दो उपाय पधन किय गए हैं। प्रदन ---उन दो सपाया के ग पतलाय ? उत्तर-शान और प्रिया। मन --हा कि पात?
उत्तर --पराया को यथाया जाना अथाा प्रत्यर पदाध
में उत्पाद, व्यय और धो र य तीर गुण देख जाते है क्योकि वोय उग पाय या निज गु पितु उत्पाद और व्यय येता उम पाथ पयायिर गुण हैं मोजिम प्रसार पदार्थ म निश्चय और व्ययहार नाय से गुण पाये जाते हैं उन गुणाका उमी