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पीछे नहीं छूट गयता | अत समभाव में ओं को किस प्रकार पराजय पर सकता है ?
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उत्तर प्रियवर समभाव से द्वारा एक प्रकार की अविर शाति आत्म प्रदेश में मार में आनावी है । जिस प्रकार शीतल पल यदि किमी नीव म aft पाय तव यह उस नीति कर देता है जिसके कारण मेरि उस पर क्ष प्रामादादि ही टदर सपने है तथा पिन प्रयार हमपुत्र (यफ का ढेर) पढे २ वृक्षा को सुम्मा देता है ठीक उसी प्रकार आत्मा का समभाव कर्मों क पराजय करने में अपनी समर्थता रसता है । तथा रिम प्रकार अत्यत उष्ण और प्रचड अभि ये शार करने के लिये मेघ का जल, वार्य साधन होता है ठीक उसी प्रकार आत्मा मे समभाव में दाशुआ ये उपशम वा क्षयोपशम तथा क्षय करने में समर्थ होते हैं ।
प्रश्न
-आत्मा में समभाव किस प्रकार उत्पन्न किया जाय ? उत्तर -- जय श्री भगवान ये जाप करने का समय उपस्थित हो जाये तब प्रथम ही प्राणि मात्र के साथ निर्वैरता ये भाव धारण करने चाहिये। फिर पाठ करने समय उनक गुणा की ओर विशेष ध्यान रखना