________________
आठ समय तक ही रा सही है क्योंफि फिर यह आत्म प्रदेश स्वशरीर में ही प्रविष्ट हो जाते हैं। तथापि क्यचित् आत्माप्रदेशों के गणना की अपेक्षा
में आत्मा विमुरूप भी कहा जा सका है। पटना-जो लोक प्रकुति पता और पुरुप भोक्ता इस प्रकार
मानते हैं तो क्या उनका कथन सत्य नहीं है । उत्तर-किसी प्रकार से भी उन पथन मे मत्यता प्रतीत
नहीं होती। क्याकि प्रकृति जडा गुण सयुक्त है तो फिर बह का शुभाशुभ मियाओं फी किस प्रकार मिद्ध हो सकी है ? तथा जडता गुण धाली प्रकृति की प्रिया का फर पुरुप को मानना यह न्याय सगत नहीं है। __ क्योकि प्रत्यक्ष मे देखने में आता है कि पत्ती की क्रिया का पल पती को ही भोगना पडता है। जिस प्रफार शयन रूप प्रिया का फल उस कता फो ही होता है जिसने शयन किया था नतु अन्य को ठीक इसी प्रकार यदि प्रति पो ही पर्ता माना जाये तय प्रकृति को ही भोका मानना चाहिये न कि पुरुप को । यदि ऐसा कहा जाय कि आप [जैन मत म मी योगात्मा और पायात्मा को ही कर्ता माना गया है इसी प्रकार यहापर भी प्रकृति विषय जानना