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अतिचार विषय के प्रश्नोत्तर
व्रत का पालन हुआ है अतः देश का भंजन हुआ, और देश का पालन हुआ उसी को अतिचार कहते हैं।
क्योंकि कहा है किःन मारयामीति कृत व्रतस्य
विनैव मृत्यु क इहातिचार? इत्याशंक्योत्तरमाह । निगद्यते यः कुपितो वधादीन ,
करोत्यसौ स्यान्नियमेऽनपेक्षः ।। १॥ मृत्योरभावानियमोस्ति तस्य कोपाद् दयाहीनतया तु भग्नः । - देशस्य भंगादनुपालनाच-पूज्या अतिचारमुदाहरन्ति ॥२॥
मैं मारता नहीं हूँ ऐसी प्रतिज्ञा करने वाले को मरण हुए बिना कैसे अतिचार लगे ? इस शंका का उत्तर कहते हैं कि-जो कोप से वधादिक करे वह व्रत में निरपेक्ष कहा जाता है सामने वाले की कदाचित् मृत्यु न हुई उससे उसका नियम कायम रहता है किन्तु कोपवश दयाहीन होने से वह भंग तो हुआ ही है। इस प्रकार देश से भंग होने से व देश से पालन होने से आचार्य इसे अतिचार कहते हैं।
और जो कहा कि-ऐसा होने से व्रत संख्या टूटती है वह भी अयुक्त है, क्योंकि हिंसादिक की जो विशुद्ध विरति कायम रहे तो बंधादिक होवे ही कैसे? ___ अतएव बंधादिक अतिचार ही हैं, पृथक् व्रत नहीं. बंधादिक पांच विषय लिये हैं सो उपलक्षण रूप हैं, उससे अन्य भी हिंसा जनक मंत्र तंत्रादिक को अतिचार जानना चाहिये।
इस प्रकार अतिचार सहित प्रथम व्रत कहा।