Book Title: Dharmratna Prakaran Part 02
Author(s): Shantisuri, Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala

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Page 1
________________ यात्रयस्त्रिंशं रत्नम् **** आगमोद्धारक-प्रन्थमालायाः त्रयस्त्रिंशं रत्नम् ★LEx★★★★★★★★★★★★★★★★★LEX णमोत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स॥ +पू० आगमोद्धारक-आचार्यप्रवर-आनन्दसागरसूरीश्वरेभ्यो नमः **** ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ श्रीमान शान्तिसूरि विरचितधर्मरत्न प्रकरण । दूसरा भाग (पू० आचार्य श्री देवेन्द्रसूरि विरचित टीकार्थ युत ) (हिन्दी अनुवाद) KLE★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★LEX ★★★ संशोधक*प० पू० गच्छाधिपति-आचार्य-श्रीमन्माणिक्यसागरसूरीश्वर शिष्य शतावधानी- मुनि लाभसागर गणि वीर सं. २४९३ वि. सं. २०२३ आगमोद्धारक सं. १७१ प्रतयः ५००] [मूल्यम् ३०० 7444444XXXXXXXXXXना xx

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