Book Title: Dharmratna Prakaran Part 02
Author(s): Shantisuri, Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala

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Page 2
________________ 15 श्री वर्धमानस्वामिने नमः कमन्थमालायाः प्रथसिं ***⭑⭑⭑ णमोत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स || पू० आगमोद्धारक आचार्य प्रवर-आनन्दसागरसूरीश्वरेभ्यो नमः श्रीमान् शान्तिसूरि विरचित - धर्मरत्ता प्रकरण दूसरा 'भारा ( पू० आचार्य श्री देवेन्द्रसूरि विरचित टीकार्थं युत ) ( हिन्दी अनुवाद ) संशोधक प० पू० गच्छाधिपति आचार्य श्रीमन्माणिक्यसागरसूरीश्वरशिष्य शतावधानी - मुनि लाभसागर गणि 넔 वीर सं. २४९३ प्रतय: ५०० ] वि. सं. २०२३ आगमोद्धारक सं. १७ [ मूल्यम् ३=००

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