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कमल सेठ का दृष्टांत
के लिये भी असत्य बोलना उचित नहीं, कारण कि-यही वास्तविक सत्य वचन रूप सोने की कसौटी है। __जो सत्य कहने से पुत्र कुपित हो तथा कुटुम्ब विरक्त हो जावे तो हो, परन्तु असत्य बोलना योग्य नहीं। क्योंकि कहा है कि
नीतिनीपुण लोग निन्दा करें का प्रशंसा करें, लक्ष्मी अपनी इच्छानुसार आवे कि जाय, आज ही मृत्यु हो जाय वा युगान्तर में होवे किन्तु न्यायवाले मार्ग से धीर पुरष एक कदम भी नहीं हटते।
यथार्थ बात आप स्वयं जानते हो तथापि मुझे सत्य बात पूछते हो तो (मैं कहता हूँ कि,) यहां सागर का कथन सत्य है। यह सुन राजा ने अत्यन्त हर्ष से पुलकित हो अपना हार कमल सेठ के पवित्र कंठ में पहिरा दिया।
साथ ही वह बोला कि-सत्य लोगों को नित्य कृतकृत्य करता है । तथा वास्तविक सुकत वाले पुरुष सत्य ही बोलते हैं। सत्य से यह पृथ्वी पुरुषों को पद पद पर रत्न-गर्भा हो जाती है
और समस्त चतुरजन सत्य ही को चाहते हैं। ___ सत्य से झाड़ फल देते हैं, समय पर जलवृष्टि होती है
और अग्नि आदि दब जाती है, यह सत्य ही की महान महिमा है। सत्य कायम हो तो पुरुषों को दुर्गति का भय नहीं होता, इसलिये हे दृढ़-सत्य कमल ! तुझे सत्यवादियों में प्रथम पगड़ी मिले।
यह कह हर्षित हो राजा ने सचित्त सज्जन कमल सेठ के मस्तक पर सोने की पगड़ी बंधाई । अब राजा विमल को कहने