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कमल सेठ का दृष्टांत
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से उतर कर उक्त क्रोधी स्त्री बेर की झाड़ी में शरीर चिंता टालने को बैठी, वहां सीधे हाथ के सहारे से वह उठी, उस पर से मैंने उसके गर्भ में पुत्र जाना और उसके शौच का पानी देखकर मैंने जाना कि उसने चन्दन कुकुम का लेप किया है।
बेर के कांटों में उसकी साड़ी के लाल डोरे उलके हुए देख कर मैंने उसके लाल वस्त्र जाने । रेतीली भूमि में उसके उलटे पद चिह्न देख उसके पीछे फिर कर देखने से रिसाई हुई जाना । उसके जूटे में से गिरे हुए बकुल माला के टुकड़े देखकर, यह जाना किउसने सिर में बकुल की माला पहिन रक्खी है तथा पद-चिहों ही पर से जाना कि- पैर में फोड़े हैं। ___उस आम की गाड़ी की धुरी ही पर सारथी बैठा था और उस
खी के पद-चिह्न भूमि पर नहीं गिरते थे, इस पर से यह जाना कि- वह वेल्लकमंत्री (वहेल ) है। ___राजा बोला कि-हे सागर ! इसका साक्षी कौन है ? तब सागर ने कहा कि-हे देव ! कमल साक्षी है। राजा बोला किजो ऐसा है तो वह सत्य कैसे बोलेगा ? क्योंकि उसीका धन जाता है।
सागर बोला कि-हे देव ! यह बात सत्य है, किन्तु वह धार्मिक धुरीण और सदैव सत्यवक्ता है अतः मुझे यही स्वीकार है। तब राजा ने कमल को बुलाकर मधु समान मीठी वाणी से पूछा कि-यह सब वृत्तान्त तू जानता है, अतः जो कुछ हुआ हो सो कह।
तब कमल स्पष्टता से बोला कि-असत्य बोलना शिष्टजनगर्हित और कुगतिजनक है, उसे दूसरा भी नहीं बोलता तो जिनवचन का ज्ञाता कैसे बोल सकता है। हे देव ! सजन