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यथार्थ भाषण पर
___ क्योंकि सत्पुरुषों को बोला हुआ वचन पालते लक्ष्मी जाती हो, परिजन परिभव करते हों, और सज्जन विरुद्ध होते हों, इस प्रकार जो कुछ होना हो सो हो, उसकी परवाह नहीं होती। यह कहने पर विमल क्रुद्ध होकर बोला कि-अरे बुढ्ढे कमल ! तब अपने घर रूप तालाब में कमल समान होकर ( घर ही में) रह।
यह कहकर विमल भेट ले राजा के पास जा, उसे नमन करके उदास मुख से उचित स्थान पर बैठ गया। राजा बोला कि-उदास क्यों है ? उसने कहा कि-सागर ने मेरा धन ले लिया है राजा ने पूछा कि-किस प्रकार, तब उसने कहा कि- यह बात उसीसे पूछ लीजिए।
अब राजा के सागर को बुलाकर पूछने पर उसने उक्त वृत्तान्त कहा तब राजा ने कौतुक युक्त होकर पूछा कि-यह सब तुझे किस प्रकार ज्ञात हुआ। __तब सागर विनय पूर्वक बोला कि- हे देव ! आम की गंध से गंधित भूमि पर पड़े हुए तृण की गन्ध से मैंने जाना कि- उस गाड़ी में आम हैं । गलीआ बैल बहुत बार बैठता है, यह मैंने धूल में पड़े हुए प्रतिबिंब से जाना तथा बांयीं ओर लंगड़ा बैल है यह उसके पद चिह्नों से मैंने पहिचाना । कावड (घड़ा) में से गिरता हुआ पानी, बैल की पूछ के बाल व परोणे के टुकड़े देखकर पवित्रता तथा क्रोधीपन से यह जाना कि-उसका हांकने वाला ब्राह्मण है। समेल टूट जाने पर झाड़ को डालो का टुकड़ा पीछे चलने वाले मनुष्य ने भूमि पर रखा, जिससे जाना कि- वह चांडाल है। गाड़ी से उतर कर ब्राह्मण ने उसे जल छींट कर उठाया, वहां भूमि पर पैर की पीब गिरने से उस पर मक्खियां भिन-भिना रही थी, इस पर से मैंने निश्चित किया कि- वह कुटी था। वहेल पर