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जयंती श्राविका का दृष्टांत
अपहृत नहीं होती, उसी कारण से हे जयंती ! ऐसा कहा जाता है कि-लोक खाली नहीं होगा।
हे पूज्य ! सोना अच्छा कि जागना अच्छा ?
हे जयन्ती ! कुछ जीवों का सोना अच्छा और कुछ जीवों का जागना अच्छा।
हे. पूज्य ! यह क्या कहते हो ?
हे जयन्ती ! जो जीव अधर्मी, अधर्मानुगत, अधर्मभाषी, अधर्म से उपजीविका चलाने वाले, अधर्म को देखने वाले, अधर्म फल उपार्जन करने वाले, अधर्मशील आचार वाले और अधर्म से ही पेट भरते रहते हैं, उनका सोना अच्छा। ___ क्योंकि ये प्राणी सोते हुए बहुत से प्राणियों को दुःख परिताप नहीं दे सकते, वैसे हो ये जीव सोते हुए अपने को वा दूसरों को वा दोनों को अधर्म की योजनाओं में नहीं जोड़ सकता, अतः इन जीवों का सोना अच्छा है।
हे जयंती ! जो जीव धार्मिक और यावत् धर्म ही से पेट भरते हुए विचरते हैं, उनका जागना अच्छा है, क्योंकि ये जीव जागते हुए बहुत से प्राणियों को दुःख परिताप दिये बिना रहते हैं, ये जीव जागते हुए अपने को, दूसरों को वा दोनों को विशेष धार्मिक योजनाओं में जोड़ते रहते हैं। ये जीव जागते हुए पिछली रात्रि को धर्म जागरिका जागते रहते हैं, अतः इन जीवों का जागना ही अच्छा है। __ इस कारण से हे, जयन्ती ! ऐसा कहा जाता है कि-कितनेक जीवों का सोना अच्छा और कितनेक का जागना अच्छा है।
इसी प्रकार बलवानपन तथा दुर्बलपन के लिये भी जानना चाहिये. विशेषता यह है कि- वैसे बलवान जीव उपवास, छठ्ठ,