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कमल सेठ का दृष्टांत
टीका का अर्थ-ऋजु याने साल चलना सो ऋजु व्यवहार वह चार प्रकार का है, जैसे कि-एक तो यथार्थभणन ( यथार्थभाषण) अर्थात् अविसंवादि बोलना, सो धर्म के विषय में अथवा क्रय विक्रय में का साक्षी भरने में। इसका भावार्थ यह है-.. __ दूसरे को ठगने की बुद्धि से भावभावक धर्म को अधर्म अथका अधम को धर्म नहीं कहते किन्तु सत्य व मधुर बोलते हैं । क्रय विक्रय के सौदे में भी न्यूनाधिक मूल्य नहीं कहते व साक्षी रूप में बुलाये जाने पर अन्यथावादी नहीं होते। ...
राजसभा में जाने पर भी असत्य बोलकर किसी को दूषित नहीं करते, वैसे ही धर्म को लज्जित करने वाला वाक्य धमेरागी भाषश्रावक नहीं बोलते।
कमलसेठ के समान, उसकी कथा इस प्रकार है-- यहां महा ऋद्धिवन्त विजयपुर नगर में दुश्मन राजाओं को दास करने वाला यशोजलधि नामक राजा था। वहां जिनधर्म रूपी .आम्रवृक्ष में तोते के समान और सत्यवादी कमल नामक नगर सेठ था, उसको कमलश्री नामक स्त्री थी। ___ उनके विमल नामक पुत्र था, किन्तु वह चेष्टा से तो मलयुक्त ही था, क्योंकि चन्द्र कलाओं का कुलग्रह होते भी दोष का अकर न होकर दोषकर ही है।
वह माता पिता के मना करने पर भी बैलों पर योग्य माल लादकर सोपारक को सीमा पर बसे हुए मलयपुर में स्थल मार्ग से आ पहुंचा।
वहां वह अपना माल बेच कर उसके बदले में दूसरा माल लेकर अपने नगर को ओर बैलों के पैरों के धके से मानो पृथ्वी को कंपित करता हो, वेसे पीछा फिरा।