Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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२०.
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२२/१.
२२/२.
गाथाओं का विषयानुक्रम
ज्ञान के द
आभिनिबोधिक/ मतिज्ञान के भेद । अवग्रह, ईहा आदि का स्वरूप । अवग्रह, ईहा आदि का समय ।
प्राप्य तथा अप्राप्य इंद्रियों के नाम ।
शब्द-श्रवण का नियम ।
भाषा वर्गणा के पुद्गलों के ग्रहण एवं विसर्जन का नियम
भाषा वर्गणा के ग्रहण के साधन-तीन शरीर ।
शब्द की गति और व्याप्ति का समय ।
मतिज्ञान के एकार्थक |
नौ अनुयोगद्वार के नाम |
मतिज्ञान को समग्रता से जानने के लिए गति आदि २० द्वारों का कथन । मतिज्ञान की २८ प्रकृतियां ।
३४.
३५.
३६.
३७, ३८.
३९.
श्रुतज्ञान की प्रकृतियों का संकेत ।
श्रुतज्ञान के चौदह भेदों के नाम ।
अनक्षरश्रुत का स्वरूप ।
श्रुतज्ञान की प्राप्ति का अधिकारी ।
बुद्धि के आठ गुण |
श्रवणविधि का प्रतिपादन ।
व्याख्यानविधि का विवेचन ।
२३.
अवधिज्ञान की असंख्य प्रकृतियां एवं उसके दो भेद ।
२४-२६. अवधिज्ञान की व्याख्या के चौदह द्वारों का नामोल्लेख ।
अवधिज्ञान के सात निक्षेप ।
अवधिज्ञान का जघन्य क्षेत्र । परमावधि ज्ञान का क्षेत्रनिर्देश ।
२७.
२८.
२९.
३०-३३. अवधिज्ञान का मध्यमक्षेत्र |
अवधिज्ञान के द्रव्य, क्षेत्र आदि की वृद्धि - अवृद्धि की समीक्षा । काल की अपेक्षा क्षेत्र की सूक्ष्मता का निर्देश । अवधिज्ञान के परिच्छेद योग्य द्रव्य का निर्देश । जघन्य अवधि के प्रमेय के उपचय का निर्देश औदारिक आदि द्रव्यों की गुरु-लघुता एवं अगुरु-लघुता ।
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