Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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१५६
आवश्यक नियुक्ति
६७८.
६७९.
विजा-चरणनयेसुं, सेससमोयारणं तु कायव्वं । सामाइयनिज्जुत्ती, सुभासियत्था परिसमत्ता ।। नायम्मि गिहियव्वे, अगिहियव्वम्मि चेव अत्थम्मि। जइयव्वमेव इय' जो, उवदेसो सो नओ नाम । सव्वेसि पि नयाणं, बहुविहवत्तव्वयं निसामेत्ता। तं सव्वनयविसुद्धं, जं चरणगुणट्ठिओ साहू ॥
सामाइयनिज्जुत्ती समत्ता
६८०.
१. इइ (महे)।
में ग्रंथ की समाप्ति पर ये दोनों गाथाएं मिलती हैं। कहीं-कहीं अध्याय २. स्वो ७३४/४३१८, एतदेवाह नियुक्तिकारः (महेटी पृ. ६७४)। की समाप्ति पर भी ये गाथाएं मिलती हैं। सभी व्याख्या ग्रंथों एवं प्रतियों ३. स्वो ७३५/४३१९, स्थितिपक्षमाह नियुक्तिकारः (महेटी पृ. ६७६), में ये गाथाएं मिलती हैं। ६७९, ६८० ये दोनों गाथाएं नय से संबंधित हैं। प्रायः सभी नियुक्तियों
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