Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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आवश्यक निर्युक्ति
१८६/१-१९०. सभी तीर्थंकरों का कुमारकाल, राज्यकाल और सम्पूर्ण आयुष्य इस प्रकार है
तीर्थंकर
१. ऋषभ २. अजित
३. संभव
४. अभिनंदन
५. सुमति
६. पद्म
७.
सुपार्श्व
८. चन्द्रप्रभ
९. सुविधि
१०. शीतल
११. श्रेयांस
१२. वासुपूज्य
१३. विमल
१४. अनन्त
१५. धर्म
१६. शांति
१७. कुन्थु
१८. अर
१९. मल्लि
२०. मुनिसुव्रत २१. नमि
२२. नेमि
२३. पार्श्व
२४. महावीर
कुमारकाल
२० लाख पूर्व
१८ लाख पूर्व
१५ लाख पूर्व
१२ लाख पूर्व
१० लाख पूर्व
७1⁄2 लाख पूर्व
५ लाख पूर्व
२1⁄2 लाख पूर्व
५० हजार पूर्व
२५ हजार पूर्व
२१ लाख वर्ष
१८ लाख वर्ष
१५ लाख वर्ष
७1⁄2 लाख वर्ष
२ लाख वर्ष
२५ हजार वर्ष
२३७५० वर्ष
२१ हजार वर्ष
१०० वर्ष
७५०० वर्ष
२५०० वर्ष
३०० वर्ष
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३० वर्ष
३० वर्ष
राज्यकाल
६३ लाख पूर्व
१ पूर्वांग सहित ५३ लाख पूर्व
४ पूर्वांग सहित ४४ लाख पूर्व
८ पूर्वांग सहित ३६
१२ पूर्वांग सहित २९
१६ पूर्वांग सहित २१
लाख पूर्व
२० पूर्वांग सहित १४ २४ पूर्वांग सहित ६
लाख पूर्व
२८ पूर्वांग सहित ५० हजार पूर्व
५० हजार पूर्व
४२ लाख वर्ष
X
३० लाख वर्ष
१५ लाख वर्ष
५ लाख वर्ष
५० हजार वर्ष
४७५०० वर्ष
४२ हजार वर्ष
X
१५ हजार वर्ष
५ हजार वर्ष
X
लाख पूर्व लाख पूर्व
लाख पूर्व
१९१
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आयुष्य ८४ लाख पूर्व
७२ लाख पूर्व
६० लाख पूर्व
५० लाख पूर्व
४० लाख पूर्व
३० लाख पूर्व
२० लाख पूर्व
१० लाख पूर्व
२ लाख पूर्व
१ लाख पूर्व
८४ लाख वर्ष
७२ लाख वर्ष
६० लाख वर्ष
३० लाख वर्ष
१० लाख वर्ष
१ लाख वर्ष
९५ हजार वर्ष
८४ हजार वर्ष
X
X
१९१. प्रथम तीर्थंकर ऋषभ का छह दिन की तपस्या में, शेष तीर्थंकरों का मासिक तपस्या में तथा महावीर का बेले की तपस्या में निर्वाण हुआ ।
५५ हजार वर्ष
३० हजार वर्ष
१० हजार वर्ष
१ हजार वर्ष
१०० वर्ष
७२ वर्ष
१९२. ऋषभ अष्टापद पर्वत पर, वासुपूज्य चंपा नगरी में, नेमि उज्जयंत पर्वत पर तथा महावीर पावा में निर्वाण को प्राप्त हुए। शेष सभी तीर्थंकर सम्मेदशिखर पर निर्वृत हुए ।
१९२/१-४. भगवान् महावीर अकेले निर्वृत हुए। भगवान् पार्श्व तेतीस श्रमणों के साथ तथा अरिष्टनेमि ५३६ श्रमणों के साथ सिद्धिगति को प्राप्त हुए। मल्लि पांच सौ श्रमणों के साथ, शांति नौ सौ श्रमणों के साथ,
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