Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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आवश्यक नियुक्ति
३३५ वाहनों को साफ कर, म्रक्षित कर उन्हें प्रस्थित कर दिया। यह देखकर शेष सेना ने भी प्रस्थान कर दिया। राजा रथ में अकेला बैठा था। उसने धूल आदि के भय से प्रातः जाने की बात सोची। उसने देखा कि सारी सेना प्रस्थित हो चुकी है। उसने मन ही मन विचार किया कि मैंने किसी से कुछ नहीं कहा, फिर इन लोगों ने मेरे मन की बात कैसे जानी? उसने गवेषणा की। एक-दूसरे से पूछते-पूछते अंत में बात कुब्जा पर आकर टिकी। राजा ने कुब्जा को बुलाकर उससे कारण पूछा। उसने राजा के सामने यथार्थ बात बता दी। ११. स्वाध्याय
एक मुनि रात्रि के प्रथम प्रहर में सूत्र का स्वाध्याय कर रहा था। जल्दी-जल्दी आगम-पाठों का पुनरावर्तन करते-करते काल अतिक्रान्त हो गया। उसे इसका भान नहीं रहा। एक सम्यग्दृष्टि देव ने सोचा'किसी मिथ्यादृष्टि देव से यह छला न जाए इसलिए मुनि के हितार्थ उसने ग्वालिन का रूप बनाया। सिर पर छाछ से भरा घड़ा लेकर 'छाछ लो, छाछ लो' की आवाज देती हई वह वहां से निकली। उसने मनि के उपाश्रय के पास अनेक बार आवागमन किया। स्वाध्याय में बाधा पड़ने से मुनि ने स्वाध्याय को क्षणिक विराम देकर उससे कहा-'अरे! क्या यह छाछ बेचने की वेला है ?' उस ग्वालिन ने पूछा- 'मुने ! क्या यह आगम-स्वाध्याय की वेला है?' साधु ने जब अस्वाध्याय-काल को जाना तब 'मिच्छामि दुक्कडं' किया। देवता ने मुनि को प्रेरणा देते हुए कहा-'आगे से अकाल में स्वाध्याय मत करना अन्यथा कोई भी मिथ्यादृष्टि देवता तुमको छल सकता है।' देवता की बात सुनकर मुनि सजग हो गए। १२. बधिरोल्लाप
एक गांव में एक कुटुम्ब के सारे सदस्य बधिर थे। वह बधिर कुटुम्ब के नाम से प्रसिद्ध था। उसमें चार सदस्य थे-माता, पिता, पुत्र और पुत्रवधू। पुत्र खेत में हल जोतता था। एक दिन एक पथिक ने उससे मार्ग पूछा। उसने प्रत्युत्तर में कहा- 'ये दोनों बैल मेरे घर में ही पैदा हुए हैं।' कुछ समय पश्चात् उसकी भार्या भोजन लेकर आई। पति बोला- 'इन दोनों बैलों के सींग तीखे हैं।' वह बोली- 'भोजन में नमक है या नहीं, मैं नहीं जानती। तुम्हारी मां ने ही भोजन पकाया है।' उसने घर आकर अपनी सास से कहा कि आपके पुत्र ने नमक की बात कही है। उसने सोचा यह मोटा कपड़ा कातने की बात कह रही है। सास बोली-'कपड़ा मोटा हो या खरदरा, स्थविर के अधोवस्त्र के रूप में काम आ जाएगा।' सास ने स्थविर को बुलाकर कहा कि यह मोटा कपड़ा आपके अधोवस्त्र के काम आएगा। वह स्थविर तिल की सुरक्षा कर रहा था, उसने सोचा यह मुझे तिल खाने की बात पूछ रही है। वह बोला-'मैं शपथपूर्वक कहता हूं कि मैंने एक भी तिल नहीं खाया।' यह अननुयोग का उदाहरण है। १३. ग्रामीण
एक नगर में पति-पत्नी रहते थे। उनके एक पुत्र था। अचानक पति की मृत्यु हो गई। पत्नी अपनी १. आवनि ११८, आवचू. १ पृ. १०९, हाटी. १ पृ. ५९, ६०, मटी. प. १३३, बृभाटी. पृ. ५२। २. आवनि ११८, आवचू. १ पृ. ११०, हाटी. १ पृ. ६०, मटी. प. १३३, १३४, बृभाटी. पृ. ५३ । ३. आवनि ११८, आवचू. १ पृ. ११०, हाटी. १ पृ. ६०, मटी. प. १३४, बृभाटी. पृ. ५३।
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