Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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पृथ्वी
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२००
आवश्यक नियुक्ति वासुदेव का आयुष्य बलदेव का आयुष्य वासुदेव-बलदेव की नगरियां १० लाख वर्ष १७ लाख वर्ष
अश्वपुर ६५ हजार वर्ष ८५ हजार वर्ष
चक्रपुर ५६ हजार वर्ष ६५ हजार वर्ष
वाराणसी ८. १२ हजार वर्ष १५ हजार वर्ष
राजगृह ९. १ हजार वर्ष १२०० वर्ष
मथुरा २३६/३४-३६. वासुदेव और बलदेव की माता तथा पिता के नाम इस प्रकार हैं
वासुदेव की माता बलदेव की माता वासुदेव-बलदेव के पिता १. मृगावती
प्रजापति उमा सुभद्रा
ब्रह्मदत्त सुप्रभा
रुद्र सीता सुदर्शना
सोम अम्बका विजया
शिव लक्ष्मीवती वैजयन्ती
महाशिव शेषवती जयंती
अग्निसिंह कैकयी (केकमती) अपराजिता
दशरथ देवकी रोहिणी
वसुदेव २३६/३७. वासुदेव प्रव्रज्या नहीं लेते अत: उनके संयम-पर्याय का प्रश्न ही नहीं होता। बलदेव प्रव्रज्या ग्रहण करते हैं अत: उनके संयम-पर्याय होता है। वह प्रथमानुयोग से जान लेना चाहिए। २३६/३८. त्रिपृष्ठ सातवीं नरक में, दत्त पांचवीं नरक में, नारायण चौथी नरक में, कृष्ण वासुदेव तीसरी नरक तथा शेष पांच वासुदेव छठी नरक में गए। २३६/३९. आठ बलदेव अंतकृत अर्थात् उसी भव में मुक्त हो गए। बलराम ब्रह्मलोक देवलोक में उत्पन्न हुए। वहां से च्युत होकर वे भरतवर्ष में जन्म लेकर सिद्ध होंगे। २३६/४०. बलदेव निदान नहीं करते। सभी वासुदेव निदान करते हैं। बलदेव ऊर्ध्वगामी होते हैं और सभी वासुदेव अधोगामी होते हैं। २३७-२३९. ऋषभ के समय में भरत चक्रवर्ती, अजित के समय में सगर, धर्म और शांति जिनेश्वरों के अंतराल में मघवा और सनत्कुमार-ये दो चक्रवर्ती, शांतिनाथ, कुंथुनाथ और अरनाथ-ये तीनों जिनेश्वर
और चक्रवर्ती दोनों थे। अर और मल्लि के अंतराल में सुभूम चक्रवर्ती, मुनिसुव्रत के समय में पद्मनाभ, नमि के समय में हरिषेण, नमि और नेमि के अंतराल में जय चक्रवर्ती तथा अरिष्टनेमि और पार्श्व के अंतराल में ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती हुए। २४०, २४१. पांच वासुदेव क्रमशः पांच अर्हतों को वदना करते हैं अर्थात् उनके समय में होते हैं। जैसे
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