Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
३२७
परि. ३ : कथाएं १९०. गीली साड़ी १९१. नीव्रोदक (नेवे का पानी) १९२. बैल, अश्व और वृक्ष से पतन ।
कार्मिकी बुद्धि का दृष्टान्त १९३. किसान की कला
पारिणामिकी बुद्धि की कथाएं १९४. अभयकुमार की बुद्धि १९५. श्रेष्ठी १९६. कुमार १९७. देवी १९८. उदितोदय १९९. साधु और नंदिषेण २००. धनदत्त २०१. श्रावक २०२. अमात्य २०३. क्षपक २०४. अमात्य-पुत्र (वरधनु)
२०५. अमात्यपुत्र की परीक्षा २०६. स्थूलिभद्र २०७. सुंदरीनंद २०८. वज्रस्वामी २०९. चरणाहत २१०. आंवला २११. मणि २१२. खड्गि २१३. स्तूप २१४. तप:सिद्ध २१५. नमस्कार मंत्र की फलश्रुति २१६. नमस्कार मंत्र से कामनिष्पत्ति २१७. नमस्कार मंत्र से आरोग्यप्राप्ति २१८. परलोक में नमस्कार मंत्र का फल (चंडपिंगलक) २१९. जिनदत्त श्रावक और हुंडिकयक्ष २२०. द्रव्य प्रतिक्रमण (कुंभकार) २२१. भाव प्रतिक्रमण (मृगावती) २२२. प्रसन्नचंद्र राजर्षि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org