Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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आवश्यक निर्युक्ति
६७०.
६७१.
६७२.
६७३.
६७४.
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६७५.
६७६.
६७७.
सीयालं भंगसतं, पच्चक्खाणम्मि जस्स उवलद्धं । सो सामाइयकुसलो, सेसा सव्वे अकुसला उ' ॥
सामाइयं करेमी, पच्चक्खामी पडिक्कमामि ति । पच्चप्पण्णमणागतमईयकालाण गहणं तु ॥
तिविहेणं ति' न जुत्तं, पडिपयविधिणा समाहितं जेण । अत्थविगप्पणयाए, गुणभावणयत्ति को
दोसो ? ॥
२. करेमि (म) ।
३. स्वो, महे तथा चू में यह गाथा नहीं है।
चक्कनिक्खेवो ।
दव्वम्मि निण्हगाई, कुलालमिच्छंति भावम्मि तदुवउत्तो, मिगावती सचरित्तपच्छयावो, निंदा तीए दव्वे चित्तगरसुया, भावे सुबहू उदाहरणा ॥ गरिहा' वि तहाजाईयमेव नवरं परप्पगासणया । दव्वम्मि 'मरुगनायं, भावेसु बहू"
उदाहरणा ॥
१. होइ (स), स्वो ४२६७, हा, म, दी और हस्तप्रतियों में इस गाथा के स्थान पर निम्न गाथा मिलती है
दव्वविउस्सग्गे खलु, पसण्णचंदो भवे" पडियागतसंवेगो, भावम्मि वि होइ
सीयालं भंगसतं, पच्चक्खाणम्मि जस्स उवलद्धं । सो कि एत्थ उकुसलो, सेसा सव्वे अकुसला उ ॥
सीयालं भंगसतं, तिविहं तिविहेण समिइ-गुत्तीहिं । सुत्तप्फासियनिज्जुत्तिवित्थरत्थो गओ एवं ॥
सावज्जजोगविरओ, तिविहं तिविहेण वोसिरिय११ पावर । सामाइयमाईए३, परिसमत्तो ॥
सोम
४. तु (म) ।
५. पइप (महे) ।
६. यह गाथा सभी हस्तप्रतियों में है। महेटी में इसके लिए 'इति नियुक्ति - गाथार्थः ' का उल्लेख है। स्वो (४२८९) में यह भागा के क्रम में है। चूर्णि में इस गाथा का संकेत एवं व्याख्या मिलती है। मुद्रित हा, म, दी में यह निगा के क्रम है। इस गाथा की व्याख्या स्वो में
तत्थुदाहरणं ।
तत्थुदाहरणं ॥
७.
उदाहरणं । चेव ॥
सो
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अनेक गाथाओं में है ।
गाथा ६७३-७८ तक की छह गाथाएं स्वो और महे में नहीं हैं किन्तु व्याख्या उपलब्ध है। हाटी और मटी में ६७३ वीं गाथा के लिए 'चाह नियुक्तिकारः' का उल्लेख है । ये सभी गाथाएं निगा की होनी चाहिए क्योंकि इनमें सामायिक के अन्तर्गत पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि की व्याख्या है।
८.
गरहा (हा, रा, दी, स) ।
९. य मरुनामं भावे सुबहू (म), दी में अंतिम चरण 'भावे साहू
उदाहरणा' है। अ प्रति में यह गाथा नहीं है।
१०. भवइ (ला) ।
११. वोसिरइ (लापा, बपा, मटीपा, हाटीपा ) । १२. पावो (म, स) ।
१३. मोऽलाक्षणिक : (दी) ।
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